Tuesday, October 10, 2017

जे.पी थोड़ा रुक जाओ, हमारा भारत अभी बना नहीं

जे .पी थोड़ा रुक जाओ, 
हमारा भारत अभी बना नहीं  |

नादानो को दिशा दिखा दो,
गुलामी का अँधियारा छटा नहीं  ||

जे.पी की निष्ठा देश से थी, सत्ता से नहीं ,
जे.पी की दोस्ती हर दल में थी, दलदल से नहीं |

बर्तन धो कर पेट भरा, पर विवेक बेचा नहीं,
महिला सम्मान की परिभाषा बदली, खुद से कम समझा नहीं |

जेल में रातें गुज़ारी, पर आकाँक्षाओं को त्यागा नहीं,
शुक्ला के कंधे चढ़े, पर हार से समझौता करा नहीं |

नेहरू को फटकारा, आपात में भी डगमगाए नहीं,
भारत रत्न हो, मात्र संपूर्ण क्रांति का नारा नहीं |

लोहिआ अच्युत को निखारा, हाशिये को उपनगर देखा नहीं ,
प्राथमिकता समाजवाद था, फिर भी अन्य विचारों को नाकारा नहीं |

गलियारों की सफाई करी, खुद मैले हुए नहीं,
ना कवच धरा ना कमंडल, पर शिष्टाचार से डिगे नहीं |

बापू के शिष्य बने, अंध भक्ति सुहाई नहीं,
लोकतंत्र को मूल माना, विदेशी अनुकरण लुभाया नहीं |

बिहार में धरना दे बैठे, किसी का दबाव सुना नहीं,
करो स्वच्छ इस व्यवस्था को, तुमसा कोई ज़िद्दी नहीं |

स्वराज के फितूर में, राजनीति खेली नहीं,
सुव्यवस्था की चेष्टा में, सिंघासन के रण में उतरे नहीं |

जे.पी का भारत सबका था, कुछ कोशों का नहीं,
जे.पी का भारत सम्मिलित था, मनु - मोहम्मद अनन्य नहीं |

जे .पी थोड़ा रुक जाओ, 
हमारा भारत अभी बना नहीं  |

नादानो को दिशा दिखा दो,
गुलामी का अँधियारा छटा नहीं  ||

जय हिन्द !!
Jai Hind!