Tuesday, August 29, 2017

Don't Criminalize Marital Rape

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ॥
~Manusmriti
The divine are extremely happy where women are respected ;where they are not, all actions (projects) are fruitless.


विवाह की परिभाषा पिछले कुछ दशकों में ऐसे दौर से गुज़री है कि उसकी काया पलट हो गयी  है | एक प्यार की रस्म से सामाजिक रिवाज़ और अब एक संस्था | मेरे दादी बाबा के लिए विवाह एक जन्म जन्मांतर के रिश्ते की शुरुआत का प्रतीक था | मेरे माता पिता के लिए, एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद बंधन, और अफ़सोस, मेरी पीढ़ी के लिए, महज़ एक संस्था | जिस तीव्र गति से रिश्तों के मायने बदलत गए, समाज के लिए अनिवार्य हो गया, कि विवाह को एक संस्था का दर्ज़ा दिया जाए | विवाह की आधुनिक संस्था की नींव निर्धारित नियम, कायदे कानून, और एक संगठनात्मक प्रकृति पर रखी गयी है | विवाहित जीवन की रस्मों में एक सामान्य सूत्र है, रिश्तों के संरक्षण का एक वो भरसक प्रयास, जो खुद में, विवाह के समीकरण के विपरीत है | विवाह द्वारा जुड़ा रिश्ते की स्वाभाविक प्रगति नहीं हुई, तो उसे सकारात्मक सफ़र नहीं, नकारात्मक घसिटना समझिये |

दो अजनबी, अगर एक छत के नीचे साथ रह कर भी संग नहीं हैं, तो उनके अजनबी बने रहने में ही दोनों के जीवन की बेहतरी है | उनके मानसिक ताल मेल में पटरी न बैठी, तो रिश्ता अपाहिज हो जाता है | रिश्ता होता तो है, पर उसके बोझ से दोनों प्रतिभागियों की कमर चरमरा जाती है | आरोप-प्रत्यारोप, भावुक अशांति, और कलह का जो अनंत सिलसिला आगाज भरता है, वह न सिर्फ पति पत्नी, बल्कि पूरे परिवार को बहुआयामी क्षति पहुंचाता है | नज़र उठा कर देखिये, कितने घरों की समृद्धि को रिश्तों के तूफ़ान ने अपने गगनभेदी गर्जन में सदा के लिए लुप्त कर दिया | अगर विवाह का उद्देश्य हर्ष की वृद्धि है, तो ये विवाह, जिन पर शुबहा के धब्बा और क्लेश की दीमक लग चुकी है, बेमाने हैं, और इनको एक सौहार्दपूर्ण बिदाई देना ही उचित हैं |

जहां तक वहशी पति की प्रताड़ना पर सज़ा सुनाने की बात है, और Marital Rape को गैर-कानूनी घोषित करने की मुहीम है, तो क्षमा करियेगा, मैं इस मुहीम से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती हूँ | मनुष्य का मन चंचल है, और भावनाएं अस्थिर | अशिक्षित समाज, जहां कच्ची उम्र में शादियां हो जाती हैं, वहां यौन ज्ञान का इतना आभाव है, कि मुझे निजी तौर पर लगता है, Marital Rape एक पेचीदा मसला है, और हमारा देश व समाज इसको समझने और अपनाने के लिए फिलहाल सक्षम नहीं है Marital Rape की पीड़िता को तत्कालीन तलाक़ का अधिकार मिलना अनुरूप है, परन्तु पति को सज़ा सुनाना अतिक्रमण है | कई बार, हम कुछ ऐसे निर्णय ले लेते हैं, जिनका अभिप्राय भी हमें ही पता होता हैं, और उनके पीछे की बेहूदी नियत भी | ये तो ठहरी किसी के शयनागार की दास्ताँ, जो चौराहे पर आयी, तो नुक्कड़ की बताइकी बन जाएगी, और कम से कम दो ज़िन्दगियों को हमेशा के लिए बेआबरू कर देगी | वैवाहिक शोषण और हिंसा के लिए इस समाज में कोई स्थान नहीं हैं, परन्तु इस आरोप की प्रामाणिकता प्राप्त करना जितना जटिल हैं, इस प्रावधान का दुरूपयोग करना उतना ही निर्बाध | जिन घटनाओं में शाररिक उत्पीड़न और घरेलु हिंसा भी शामिल हैं, वहां तो कानून में उपर्युक्त प्रावधान है ही |

इस प्रकार की खेदजनक वारदातों में, एक तरफ़ा तलाक़ का प्रावधान हो, जो अति-शीग्र गति से निर्वाहित हो | विवाह विच्छेद करने से पीड़िता को राहत दिलाने का प्रयास, तथा उसे आर्थिक जीविका का अधिकार दिया जाए | इसके अतिरिक्त, उसके पास मानसिक शोक-हरण करने हेतु सभी संभव संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करी जाए |

नारी समाज की नींव भी हैं, स्तम्भ भी, और इसकी आबरू से जो भी खिलवाड़ करेगा, उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए | लेकिन, हमारा प्रयास सामाजिक संतुलन व विकास का भी है, समानता का भी, और निष्पक्ष्ता का भी | समाज से बड़े उसके प्रतिनिधि नहीं, कानून से उच्च कोई प्रतिभागी नहीं, और इन्साफ से बुनियादी कोई आधार नहीं |


जय हिन्द! Jai Hind!

Sunday, August 20, 2017

New India के निर्माता - स्व. राजीव गाँधी

राजीव गाँधी, भारत का वो युवा सितारा जो अपने समय से बहुत पहले रात की अँधेरी गलियों में खो गया | अपनी माँ के योग्य बेटे थे, अपने नाना के निपुण नाती, अपने पिता के उदार पुत्र थे, अपने परिवार के चहीते सदस्य, और इस देश की उम्मीद थे | वक़्त से पहले जाने वाले राजीव गाँधी के Digital India के योग्यदान की बात मैंने अनेक बार कही है | राजीव गाँधी को Digital India का निर्माता न पुकारने से, सत्य नहीं बदलेगा | पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या, हाथ कंगन को आरसी क्या |
राजीव गाँधी ने अपने पिता को बहुत कम आयु में खो दिया, तथा अपनी माँ के जीवन के उस पहलू को देखा जिससे हम और आप अनभिज्ञ हैं | इंदिरा गाँधी ने राजनीति में, अपने महिला होने का, अपने पिता की बेटी तथा अपने स्वर्गीय पति की विधवा होने का बहुधिक मूल्य चुकाया | परन्तु, उनके दोनों पुत्रों के लिए उनकी माँ का जीवन पाठ्यक्रम के समान था | राजीव गाँधी के जीवन का अध्ययन करने वाले इस बात को भली भांति स्वीकारते हैं की उन्हें राजनीती में कोई रूचि नहीं थी | भाई की असामयिक मृत्यु के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्तया ली, और वक़्त की नज़ाक़त मद्देनज़र रखते, माँ की कुर्सी संभाली | जिस युवा को सब एक शहज़ादा समझते थे, उसने जब भारत की प्राचीनता को अपने नवीन विचारों के साथ अद्वतीय निपुणता से बुना, तो वो देश के बेटे बन गए | जाति, समुदाय, धर्म, और अनेक कुंठित आयामों को दर किनारे करा, और जुट गए भारत के नए अध्याय की रचना में | विदेशी अनुभव का प्रयोग जिस निर्बाधता से उन्होंने भारत के सामाजिक व् आर्थिक बदलाव में लगाया, ये कोई आश्चर्य नहीं की उन्होंने इतने कम समय में खूब वैश्विक सम्मान और दुलार बटोरा |
सोनिया गाँधी से विवाह करना उनके खुले विचारों और बदलाव की आतुरता के नमूना है | आज हम New Indiaकी बात कर रहे हैं, जिसकी नींव राजीव गाँधी ने रखी थी | आज Make In India की बात करते हैं, जिस Self-Reliant India का नारा राजीव गाँधी ने दिया था | आज हम Demographic Dividend की बात करते हैं, जिसका महत्व एक प्राचीन देश के Young India को राजीव गाँधी ने बताया था | वक़्त की तहों में उनके ख्वाब दब सकते हैं, उनके विचारों का प्रभाव नहीं | Sam Pitroda को भारत ले आये, और देश की प्रगति का वास्ता देकर गली गली Telecom Revolution लाये, ऐसे थे राजीव गाँधी |
राजनीतिक विश्लेषकों ने राजीव गाँधी को Bofors का चेहरा बना दिया, और विपक्ष ने उन्हें शाह बानो का गुनहगार | आलोचकों को उनके बयान "जब एक बड़ा पेड़ गिरता है...." का ऐसा जुनून है, कि खैर…| आज लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ अपनी नैतिकता खो चुका हैं, और सत्ता की गोदी में खेल रहा है, शायद इसलिए मेरे जैसे आम नागरिक को अपनी आवाज़ उठा कर राजीव गाँधी का प्रतिबिम्ब New India के New Youth को देना पड़ रहा  है | इन बुद्धिजीवियों को ये याद दिलाना अपरिहार्य है, की नर नश्वर है, उसकी छवि दाग प्रवृत्त, परन्तु उसके विचार, उसकी सोंच, उसका अस्तित्व अजर अमर है |
कर लो लाख कोशिश तुम हमें मिटाने की, पत्थरों की लकीरें पानी से नहीं मिटती |

जय हिन्द |

Thursday, August 17, 2017

यह मेरा हंदुत्व है, यह मेरे दिव्य राम है, यह मेरी निष्ठावान भक्ति है

क्या आपको कभी लगता है कि 33 crore देवी देवताओं वाला, विश्व का लोक प्रिय धर्म, हिंदुत्व खतरे में है? अगर हाँ, तो समय है आत्म चिंतन का | आपका डर व्यर्थ नहीं है परन्तु वैध भी नहीं | आज आपकी चिंता का एक बड़ा कारण है वो समुदाय जिसने हमारे उदार हिंदुत्व को अपनी बपौती समझ लिया है |
क्या प्रभु राम के विशाल अस्तित्व को कोई भी शक्ति या विचारधारा छू सकती है? नहीं |
क्या प्रभु राम को हम कुछ गज ज़मीन में समेट सकते हैं? नहीं |
क्या प्रभु राम की शक्ति को मंदिर में बैठी ४ फुट की मूर्ती कैद कर सकती है? नहीं |
क्या प्रभु राम की असीम माया को कोई एक रंग बखान सकता है? नहीं |
क्या प्रभु ने कभी सिया के जीवन में बंदिशें डाली? नहीं |
क्या प्रभु ने कभी अपनी प्रजा - परिवार को किसी नियम के लिए बाध्य करा? नहीं |
क्या प्रभु ने उस धोभी को देश द्रोही पुकारा? नहीं |
अगर प्रभु तुम्हारे आराध्य हैं, तो हर प्राणी को गले लगाओ |
अगर प्रभु तुम्हारे आराध्य हैं, तो अपने आलोचकों को भी सम्मान दो |
अगर प्रभु तुम्हारे आराध्य हैं, तो अपनी बहू बेटी पत्नी को अधिकार दो |
अगर प्रभु तुम्हारे आराध्य हैं, तो निजी जीवन की मर्यादा स्वीकारो |
अगर प्रभु तुम्हारे आराध्य हैं, तो प्रभु की शक्ति पर विश्वास रखो |
अपनी भक्ति को कुछ ठेकेदारों को मत बेचो | हिंदुत्व की अविरल धारा अनवरत है, महाकाय है, सर्व-भूत है |
जब सिन्दूरी टीका लगाते हो, तो वह सिर्फ एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं है | सिया का सिन्दूर सिन्दूरी था, तो भक्त हनुमान ने स्वयं को सिन्दूरी रंग लिया, परन्तु सभी वानरों के ऊपर सिन्दूरी रंग नहीं थोपा | ये भक्ति है |
जब हनुमान ने रावण का वध नहीं करा, तो हम कौन होते है अपने प्रभु के सम्मान की ठेकेदारी करने वाले?
हिंदुत्व तो जीवन का सार है, इसे भला किसका खतरा? तुम अपनी भक्ति करो, कर्म करो, राम जी करेंगे बेड़ा पार |
यह मेरा हंदुत्व है, यह मेरे दिव्य राम है, यह मेरी निष्ठावान भक्ति है ||
जय सिया राम !