Monday, June 18, 2018

अम्मा मैं परायी ही भली ...


बाबा के दिल का टुकड़ा हूँ, तुम्हारी आँख का तारा नहीं,
मेरा नहीं ये आँगन, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

बाबा के कंधे चढ़ मेला देखा, तुम्हारी गोद ठिकाना नहीं,
मेरा नहीं ये आँचल, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |





बाबा की कहानियां मेरी धरोहर है, तुम्हारी ममता अविभक्त नहीं,
मेरी नहीं ये विरासत, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

बाबा की तालियां मेरी ऊर्जा हैं, तुम्हारी थपकी में विश्राम नहीं,
मेरे हिस्से नहीं प्रोत्साहन, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

बाबा की चिंता मेरा परामर्श है, तुम्हारी लोरी में भी चैन नहीं,
मेरा नहीं ये सिरहाना, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

ज़माने के कटाक्ष तोड़ते नहीं, तुम्हारे प्रश्नो की चक्की में पिसती हूँ ,
स्वाभिमान से त्रस्त उत्तर देती नहीं, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

जीवन के चक्रव्यूह से भय नहीं, तेरे संदेह ने जकड़ा है,
निति तो है पर भेदती नहीं, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

खूब प्यार बटोरा गैरों का, तेरा अप्रतिबन्ध दुलार बाकी है,
समझती हूँ ये मुमकिन नहीं, जानती हूँ - अम्मा मैं परायी ही भली |

कुछ तो कमी होगी मुझमें, जो रण जीते - तेरी ममता नहीं,
ये असत्य कि तेरी अपनी नहीं, ये भी सत्य - अम्मा मैं परायी ही भली |

अनेक बार मंथन करा स्वयं ने, क्यों तेरा वात्सल्य अकुलाया मुझसे,
तब ज्ञात हुआ वह गर्भ काल, जहां बिटिया बन, प्रमाद हुआ मुझसे |
इस दोष का क्या कोई उपाय, क्षमा याचना या दान नहीं |

अब समझा लिया है ख़ुद को,
अब मना लिया ख़ुद को ... क्यों मैं परायी ही भली |