मेरी तन्हाई का शिकन
किसी और की मुस्कराहट है
मेरे आंख की नमी
किसी और की भीगी पलकें हैं
किसी और की हथेली है
मेरे घर का सन्नाटा
किसी और की रौनक है
किसी और की रौनक है
मेरी देहली का सूनापन
किसी और की बगिया है
किसी और की बगिया है
मेरे आंगन का अँधेरा
किसी और की चांदनी है
किसी और की चांदनी है
मेरे अनकहे लफ्ज़
किसी और की बतियाँ है
किसी और की बतियाँ है
वो मुरझाया गुलदस्ता
सुना रहा है एक अरसे की दास्तान
सुना रहा है एक अरसे की दास्तान
वो तही चादर
कर रही है एक मुद्दत से इंतज़ार
कर रही है एक मुद्दत से इंतज़ार
शायद कुछ आम था मुझमें
जो कहीं भी मिल गया
यकीनन कुछ ख़ास था तुझमें
जो मुझे कहीं भी न मिला ....
जो कहीं भी मिल गया
यकीनन कुछ ख़ास था तुझमें
जो मुझे कहीं भी न मिला ....