हर सुबह दिल सुकून की
ख्वाइश करता है,
और दिमाग़ शौहरत की चाह में
अंगड़ाई लेता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल सूरज की किरणों में
गर्माता है,
और दिमाग़ गुज़रते वक़्त से
बेचैन हो उठता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल उस फकीर की मदद को आतुर
होता है,
और दिमाग़ उसके हालात की
उधेड़ बुन में लग जाता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल पुराने लम्हे याद करता
है,
और दिमाग़ दर्द की आहें
भरता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल उनको माफ़ करने की सिफारिश करता
है,
और दिमाग़ सज़ा के मायने समझता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल ज़रूरत के लिए रुपये
कमाता है,
और दिल दौलत को ही फौलाद
मानता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल आज में जीने को बेताब
है,
और दिमाग़ को बस कल ही
दिखता है,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल उम्र के फसाने को शिखर,
और दिमाग़ इसको ज़िंदगी की
ढलान,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दरिया के साहिल पर दिन ढला
या चाँदनी आई,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
दिल की धड़कन सुने या
दिमाग़ की सलाह,
कुछ द्वंद सा हो जाता है । ।
साँसें रुकती नही बस
ज़िंदगी थम जाती है,
बिन धड़कन सासें भी झुलस जाती हैं,
बिन धड़कन सासें भी झुलस जाती हैं,
कुछ द्वंद सा हो जाता है ।
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