Wednesday, December 7, 2016

अशक्त नाम


मैं मेरा नाम नहीं, मेरे नाम से मैं नहीं । ।

नाम मेरी भूमि का है, मिट्टी की खुश्बू का नहीं,
नाम मेरे गांव का है, संस्कृति का नहीं,
नाम मेरे परिवार का है, संस्कारों का नहीं,
नाम मेरे अपनों का है, संबंधों का नहीं,
नाम मेरे मज़हब का है, तालीम का नहीं,
नाम मेरे रिश्तों का है, मुहब्बत का नहीं,
नाम मेरे कर्म का है, ईमान का नहीं । ।

आसमान का नाम नहीं, उसकी उँचाई पर रोक नहीं,
ये हवा बेनाम है, उस पर कोई बंदिश नहीं । ।
धूप का नाम नहीं, सिर्फ़ सहलाती गर्मी है,
बारिश बेनाम है, उसका पानी खारा नहीं । ।

नाम की सरहदों पर सियासी जंग है,
नाम के दायरे में अपनों से फ़ासले हैं 
नाम की ज़ंजीर में ज़िंदगी मुनासिब है,
नाम की ज़कड में जीना मुमकिन नहीं । ।

रंग मेंहदी का हो या जुम्मे की चादर का,
चाँद, चौथ का हो या रमज़ान की दुआ का 
मेहज़ नाम का कोई वजूद नहीं, 
नाम का खुद कोई अस्तित्व नहीं । ।

मेरे भजन में भक्ति का नाम है,
मेरी अर्ज़ियों में फरियाद का नाम है 
कुदरत की रूह हो, या अपने रिश्ते,
इनको नाम के बाज़ार में ना बेच । ।

क्यों अपने खुदा के करिश्मे को नाम देता है?
तू खुद कौन है, जो खुदा को नाम देता है?
कुछ नासमझ है  इंसान तेरी सोंच,
बेनाम को बदनाम कहता है । ।

मैं मेरा नाम नहींमेरे नाम से मैं नहीं । ।