Friday, September 1, 2017

Tribute to Dushyant - तुम कब दुष्यंत को जानोगे?



राजनीति का खेल जीत गए,
राज धर्म कब निभाओगे |
सत्ता की चढ़ाई चढ़ गए,
सत्य पताका कब फेहराओगे ||

लफ़ाज़ी से उर्जित हैं ये दीवारें,
त्राहि कब उजाड़ोगे |
अनवरत वादे हुए मासूमों से,
धूर्तता कब त्यागोगे  ||

कई तख़्त बैठे यहां पर,
धर्मासन कब बिछाओगे |
अनेक नेता आये इस मंच पर,
सुकर्मी से कब मिलवाओगे ||

आरोपों की झड़ी में फिसले हैं सब,
विकृत बखिया कब उधेड़ोगे |
अनैतिकता के खारे दरिया में ,
शुचिता कब मिलाओगे ||

दुष्यंत को वक़्त की सुई ने दफ़ना दिया,
तुम कब दुष्यंत को जगाओगे ||

तुम जब दुर्योधन को त्यागोगे
तुम तब दुष्यंत को मानोगे ||

तुम जब दुर्योधन को त्यागोगे
तुम कब दुष्यंत को देखोगे, 

तुम जब दुर्योधन को त्यागोगे
तुम तब दुष्यंत को जानोगे ||










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