एक वक़्त की बात है
फरिश्ता ज़मीन पर आया था
कुदरत का ये हसीं हुस्न देख
उसका भी मन इतराया था
बोला उसने कुदरत के ख़ुदा को
इन दिलकश नज़ारों का मैं माही हूँ
इनका अकेलापन इन्हें ख़ाक ना कर दे
इस जन्नत की कद्र को मैं राज़ी हूँ
ख़ुदा ने उसको आगाह करा
ये कायनात बेकद्री करती है
जैसे वक़्त गुज़रता है
फ़िज़ा सराब पेश होती है
ऊंचाई बुलाती है, तो गहराई
गिराती है,
खुशबू लुभाती है, तो फीकी भी पड़ जाती है
खुशबू लुभाती है, तो फीकी भी पड़ जाती है
आफताब के बाद अँधियारा आता है
तो चाँद बेतरतीब छुप जाता है
बारिश से सैलाब आते हैं
दरिया भी राह बदल जाते हैं
मायूस हो जाओगे तुम ऐ फ़रिश्ते
इस दुनिया में ऐसे रंग बदलते हैं
जिस दुनिया की ख्वाइश तू करता है
वो सिर्फ तेरे तस्सवुर का एक हिस्सा है
जिस पाक मुस्तक़बिल की चाह बसाता है
उसकी तक़दीर बस लफ़्ज़ों का पिंजरा है
मैंने चाँद को चेहरा दिया
तो इंसान ने उसे दाग समझा
दिल को मुहब्बत का जज़्बा दिया
उसने एक लापरवाह खिलवाड़ समझा
दिमाग से साज़िश
और भूक का सौदा करता है
इसका ऐतबार ना कर
ये इंसान ख़ुद से भी बेवफाई करता है
ना जाने कैसे इसको तराशा मैंने
कौन सी चूक हो गयी कारीगर से
हैरान हूँ उसकी तमीज से
ख़ुदा से भी खुदगर्ज़ी करी जिसने
7 comments:
gunja means bald bwhwahah..I read your kavita its good KEEP WRITING...:)
you are added to my readers list for 8 years now...
Shukriya! Means alot to me.
Shukriya! Means alot to me.
Wow Gunja, I didn't know we had a poetess amongst us!! Very nice !! Keep writing!
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Shukriya! Means alot to me.
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